मेरे ज़हन में एक
बात अक्सर आया करती थी। भला क्यों मेरे माता पिता ने मेरा ऐसा नाम रखा जिसका सिर्फ
एक ही मतलब निकलता था जो कहता था की मेरा नाम मेरे माता और पिता दोनों के नाम के
आखिरी अक्षरों को जोड़ कर बनाया गया है। शुभमूर्ती का ‘ती’ और कल्पना का ‘ना’ तीना जी हाँ घर में मेरे मुझे लोग तीना बुलाते हैं
ओर शुद्ध बोलू तो ‘तिना’ कह लीजिये। मेरी मित्र मंडली में बहुत
कम लोगों को ही ये बात पता है। ज़्यादातर लोग मुझे टीना कहते हैं मेरे नाम का
अपभ्रंश भी मेरे कुछ दोस्तों ने कर दिया है और वो मुझे टिनटिन नाम से संबोधित करते
हैं।
फिर एक दिन अचानक
ही मुझे पता चला की मेरे नाम का मतलब भी है। और बड़ा अच्छा भी लगा TINA का मतलब है There Is No Alternative। एक अंग्रेज़ प्रधानमंत्री (Margaret Thatcher) का दिया गया यह नारा दरअसल free trade, free
market ओर खासकर globalization के पक्ष में बात करता है। नए जमाने में दुनिया को आगे बढ़ाने का एक मात्र उपाय
है ऐसा दर्शाता है यह नारा।
दूसरा सीधा साधा
अर्थ इसका यह भी निकाला जा सकता है की भाई इस दुनिया में किसी भी विचार, मान्यता, धर्म, ism या फिर कर्म से अलग उसके अलावा कोई विकल्प नहीं हो सकता। किसी एक सवाल के दो
जवाब नहीं हो सकते, किसी एक मुसीबत को सुलझाने के दो उपाय नहीं हो सकते, इत्यादि। पर दूसरी ओर यह भी सही है की सच्चाई, ईमानदारी, पर्यावरण, एकनिष्ठा और मेहनत का दूसरा विकल्प नहीं मिलेगा आपको।
मैं सोच समझ कर
अपने विचार बनाए हैं और इस विचार को नहीं मानती की भाई जीवन में बस एक ही रास्ता
है। अजीब है मेरे विचार मेरे नाम के बिलकुल उलट हैं। भारतीय सभ्यता के प्रचालन के
मुताबिक मेरा नाम मेरे विचारों को दर्शना चाहिए था। पर नहीं, ऐसा नहीं हुआ और अब आलम यह है मैं
दुखी तो नहीं हूँ पर थोड़ी अजीब सी मनः स्थिति है। न ही मैं विकास के इन नए तरीकों
से ही सहमत हूँ और globalization और पूंजीवाद के नकारात्मक पहलुओं को भी सुनती और पढ़ती आई हूँ तो लगता है यह हम
किस दिशा में जा रहे हैं। ऐसी दिशा क्यों जा रहे हैं, जो गरीब और अमीर के बीच के पैसा कमाने की होड को और
बढ़ावा दे रहा है। गरीब और गरीब तो हो ही रहा है साथ ही उस गरीब की पैसे कमाने की
ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है।
यह लेख मैं तब
लिख रही हूँ जहां से मेरा भारत देश एक नई दिशा में अगभग छलांग ही लगाने वाला है
(ऐसा कुछ लोगों का मानना है)। इस बार मुझे मेरे ही नाम को गलत साबित करने का मन कर
रहा है।
इस बार कुछ ऐसा
हो के बस सब ठीक हो जाए,
इस बार कुछ ऐसा
हो की एक नन्हा पौधा बड़ा पेड़ बन पाये,
इस बार जो इंतज़ार
हो,
तो इस बार शुरुआत
तुमसे हो,
इस बार पहल तुम
करो,
और इस बार मुझे
अफसोस न हो,
पर जब इस बार तुम
आओ ,
कुछ ढलते सूरज की
रोशनी लाओ,
और कुछ रात के चंद
की रौशनी फैलाओ,
उस पूरे चाँद को देख
तुम भी पूरे हो जाओ,
इस बार सब की
बारी हो,
इस बार अच्छे दिन
आयें,
इस बार के आम मीठे
हों,
और इस बार की मिर्ची
भी तीखी हो,
और हर हाथ तरक्की
हो,
हर चेहरा बस मुस्कुराए,
इस बार किसी ने आयतें
अच्छी लिखी हैं,
किसी के आरती में
सुर है,
तो कोई बस बैठा तल्लीनता
से सुन रहा होगा।
काश के इस बार कुछ
ऐसा हो जाए,
की मेरा नाम झूठा
बन जाए।
मेरे नाम के मायने
बादल जाएँ,
काश के और सोरत बन
जाए,
की सोहबत हमे किसी
और की मिल जाए,
पर इस बार के मेरे
खयाली पुलाव बड़े मीठे है,
कश्मीरी हैं, खूब सारे काजू और बादाम है,
पर इस बार फर्क सिर्फ
इतना है,
इस बार मुझे पता है,
स्वप्न और खयाल ही
हैं ये सारे,
सपने की दुनिया से
बाहर निकाल हकीकत यह है,
की इस बार ऐसा कुछ
न होना है,
इस बार की आशा और
निराशा से कोई फर्क नहीं पड़ता,
क्योंकि इस बार मेरे
पास सच में मेरे नाम की ही तरह,
कोई विकल्प नहीं है।
nice work and self reflection
ReplyDeleteGr8 thought Tina I am completely agreed
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